की नारी ही तो हैं फरिश्ता तो नहीं। डर लगता है मुझे भी ! की नारी ही तो हैं फरिश्ता तो नहीं। डर लगता है मुझे भी !
नारी की सुन्दर गरिमा हूँ, प्रकृति की रचनाओं से प्रेरित रचना हूँ, नारी की सुन्दर गरिमा हूँ, प्रकृति की रचनाओं से प्रेरित रचना हूँ,
कभी घर में भी शिकार ना बन जाऊं ये डर आज भी नारी को सहना पड़ता है । कभी घर में भी शिकार ना बन जाऊं ये डर आज भी नारी को सहना पड़ता है ।
मर्यादा पुरुषोत्तम थे रघुवर, पर नारी को अग्नि कसौटी तोला! मर्यादा पुरुषोत्तम थे रघुवर, पर नारी को अग्नि कसौटी तोला!
ना ही तू अबला है, ना ही तू बेचारी है। अगर तुमने ठान लिया तो तू... ना ही तू अबला है, ना ही तू बेचारी है। अगर तुमने ठान लिया तो ...
हाँ, मैं आज की नारी हूँ, मैं बदल रही हूँ। हाँ, मैं आज की नारी हूँ, मैं बदल रही हूँ।